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Sawai Kahn Barmer
मने बिलखतड़ी रूलाई बालम परदेशी
आभे माथे आड़ंगियो समन्दरयो भरीजे
पाळ चढे जोवीयो बाई रा वीरा
बन्ना लगाई दो हरियो बाग
आभिये मो उड़ती कुरजों