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Prakash Chandra
मोहब्बत में चांद छू लिया
मुझे पत्थर मारते
सुनो ये है मेरी तुम्हारी बात
हम चिराग़ों को देखते रहे
क्यों मौसम शरमाए
Binjari Hans Hans Bol
तेरे प्यार में दीवाने हम
ये काटा वो काटा
ओ डियर ज़िंदगी
जो भी मोड़ से गुज़रा
पल पल बदलती दुनिया
शाम ढलती रात होती
मै र ाधा तू रजनी